शनिवार, 29 नवंबर 2008

बच्चों को मुंबई में काम करने दे

मेरी एक दोस्त खंडाला में होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रही है। एक दिन पहले फ़ोन आया कि उसने होटल में कम करने का इरादा बदल दिया है। ताज और ओबेरॉय में जो कुछ हुआ इससे उसके मम्मी पापा परेशां हैं। वो डरे हुए हैं।
बात सही है। डरे हुए तो सभी हैं। लेकिन डर कर दूर भागना कहाँ तक सही है। सभी माँ बाप यही सोचते हैं कि उनका बेटा सही रहे। सुरक्षित रहे।
खैर फ़ैसला तो हमें लेना है। अगर नौकरी करने से दूर भागने लगे तो ताज का नवनिर्माण कौन करेगा। जो काला धब्बा हमेशा सालने के लिए मिला है। वो दूर कैसे होगा।
आख़िर भारत माँ का भी तो saval है।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

यह एक "टिपीकल" हिन्दू सोच है, भगतसिंह तो पैदा होना चाहिये, लेकिन पड़ोसी के घर में… हमारा घर सुरक्षित रहे बस… वक्त आ गया है कि स्कूल-कॉलेज में कम से कम एक वर्ष की सैनिक ट्रेनिंग अनिवार्य की जाये, वरना अगली पीढ़ी सिर्फ़ की-बोर्ड पर लड़ना ही सीख पायेगी, मैदान में नहीं…