मेरी एक दोस्त खंडाला में होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रही है। एक दिन पहले फ़ोन आया कि उसने होटल में कम करने का इरादा बदल दिया है। ताज और ओबेरॉय में जो कुछ हुआ इससे उसके मम्मी पापा परेशां हैं। वो डरे हुए हैं।
बात सही है। डरे हुए तो सभी हैं। लेकिन डर कर दूर भागना कहाँ तक सही है। सभी माँ बाप यही सोचते हैं कि उनका बेटा सही रहे। सुरक्षित रहे।
खैर फ़ैसला तो हमें लेना है। अगर नौकरी करने से दूर भागने लगे तो ताज का नवनिर्माण कौन करेगा। जो काला धब्बा हमेशा सालने के लिए मिला है। वो दूर कैसे होगा।
आख़िर भारत माँ का भी तो saval है।
वादा किया वो कोई और था, वोट मांगने वाला कोई और
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तिवारी जी जब से कुम्भ से लौटे हैं तब से बस अध्यात्म की ही बातें करते हैं।
कई ज्ञानी जो उनकी बातें सुनते हैं वो पीठ पीछे यह भी कहते सुने जाते हैं कि
तिवार...
1 महीना पहले